Tania Shukla

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सिंदबाद , मैजिकल लाइफ

सिंदबाद भी उस आदमी के पीछे उस तहखाने में चला गया। तहखाने में तकरीबन दस आदमी और भी थे। सिंदबाद ने जब ऐसे वीरान टापू पर तहखाने में लोगों को देखा तो उसे हैरानी हुई। सिंदबाद ने उस आदमी से पूछा.. जो आदमी सिंदबाद को उसे तहखाने में लाया था.. उसका नाम जमील था। सिंदबाद ने उस आदमी से पूछा, "भाई यह आप लोग यहां.. इस वीरान से टापू पर क्या कर रहे हो..?? और आपने यह घोड़ी ऊपर इस लिहाज से बांधी हुई है??" उन लोगों ने सिंदबाद को ऊपर से नीचे तक घूरना शुरू कर दिया था। सभी लोग हैरत से सिंदबाद को देख रहे थे। जिस जगह वो टापू था.. उस जगह कोई भी सौदागर या जहाजी आने की हिम्मत नहीं करता था। और यह आदमी उन्हे इस टापू पर घूमता हुआ मिला तो उन्हें हैरानी हुई। उन्होंने सिंदबाद को नजरों से तौलते हुए कहा, "हम तुम्हें हर बात बताएंगे.. पर तुम्हारे यहां आने की क्या वजह रही है.. वह वजह भी तुम्हें हमें बतानी होगी?"

सिंदबाद ने उन लोगों को अपनी दास्तान शुरू से आखिर तक सुना दी। सभी लोगों को उसकी दास्तान सुनकर बहुत ज्यादा खुशी नहीं हुई। सिंदबाद ने जब अपना सवाल दोहराया तब उनमें से एक आदमी जिसका नाम जमील था ने कहा, "हम लोग यहां के बादशाह हारून बिन रशीद के साइस हैं..!" सिंदबाद ने हैरान होकर पूछा, "यहां के बादशाह हारून..??" उन्होंने अना के साथ जवाब दिया, "हां.. यह वीरान टापू बादशाह हारून बिन रशीद की मिल्कियत है। इस टापू को सिर्फ वह अपनी घोड़ियों के लिए ही इस्तेमाल करते हैं।"

उन्होंने सिंदबाद को यह भी बताया कि उनके बादशाह बहुत ही ज्यादा नेक और शरीफ आदमी थे। जमील ने फिर से बोलना शुरू किया, "हमारे बादशाह हारून बिन रशीद अपनी खूबसूरत और आला दर्जे की नस्ल वाली घोड़ियों को साल में एक बार यहां हामिला करवाने के लिए भेजते हैं। और उनसे खूबसूरत तंदुरुस्त और ऊंची नस्ल वाले बच्चे प्राप्त करते हैं। वह तंदुरुस्त घोड़े के बच्चे.. शाही खानदान के ममबरान की सवारी के काम आते हैं और बाकी के बचे घोड़े रसूखदार लोगों के भी काम आते हैं।" सिंदबाद थोड़ा हैरान होकर उनकी बातें सुन रहा था। तब सिंदबाद ने आगे सवाल करने के लिए मुंह खोला तो जमील ने उससे कहा, "अब तुम सवाल-जवाब ही करते रहोगे या कुछ खाओगे भी।" सिंदबाद ने उन लोगों की तरफ देखा और अपनी आवाज में नरमी लाते हुए कहा, "जी हुजूर..!! अगर आप लोगों को कोई तकलीफ ना हो तो।" एक दूसरे आदमी ने कहा, "नहीं भाई..! तुम्हारे खाने से हमें क्यों तकलीफ होगी!" ऐसा कहकर उन्होंने सिंदबाद को खाने का सामान दिया। सिंदबाद वहीं बैठ कर खाना खाने लगा। खाना खाने के बाद सिंदबाद ने फिर से पूछा, "भाई जान आपने यह तो बता दिया कि आप लोग यहां घोड़ियां लेकर आते हो और उनके बच्चे आपके बादशाह के खानदान के लोगों की खिदमत के काम आते हैं। पर हुजूर यहां पर घोड़ा तो कोई है नहीं?? फिर घोड़ियों के बच्चे..??" सिंदबाद की मासूम सी शक्ल और उसके सवाल पर वहां बैठे सभी आदमी हंस पड़े। सिंदबाद हैरानी से उनकी तरफ देख रहा था। तब जमील ने हंसते हुए उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा, "इस टापू पर हम केवल घोड़िया ही लेकर आते हैं।"

सिंदबाद की आंखों में सवाल घूम रहे थे पर थोड़ा सा सब्र रखने पर ही उन सवालों के जवाब सिंदबाद को मिल सकते थे। सिंदबाद ने फिर सवाल करने के लिए मुंह खोला.. तो जमील ने उसके कंधे को थपथपाकर चुप रहने का इशारा किया। जमील ने आगे कहना शुरू किया, "हम लोग यहां हर साल घोड़ियां लेकर आते हैं और यहां लाकर उन्हें बांध देते हैं। इसी तहखाने में छुपकर उन पर नजर रखते हैं। दरियाई घोड़े जोकि बहुत ही तंदुरुस्त और ताकतवर होते हैं.. इन घोड़ियाँ के साथ मिलाकर.. उन दरियाई घोड़ों की मदद से इन घोड़ियों को हामिला करवाया जाता है और उनसे बच्चे पैदा होते है।" सिंदबाद ने फिर से पूछा.. "तो फिर नजर रखने की क्या जरूरत है..?" सिंदबाद की इस मासूमियत पर सभी को बहुत ही ज्यादा हंसी आ रही थी। सिंदबाद बहुत ही ज्यादा मासूम था उस वक्त उसकी उम्र भी कुछ ज्यादा नहीं थी सत्रह का ही तो था। उसने मदरसे में कुछ भी ध्यान से नहीं पढ़ा जिसकी वजह से उसे दुनियादारी की बहुत ज्यादा समझ भी नहीं थी।

तब जमील ने हंसते हुए उसे समझाया, "सिंदबाद..!! दरियाई घोड़े दरिया में रहते हैं और वह बाहर आकर हमारे साथ लाई घोड़ियों के साथ मिलकर बच्चे पैदा करते हैं.. पर दरियाई घोड़ों की एक खास आदत होती है। किसी भी घोड़ी के साथ संयोग करने के बाद.. वह लोग घोड़ियों को मार देते हैं। इसीलिए हम यहां छुपकर उन पर नजर रखते हैं। जैसे ही दरियाई घोड़ा घोड़ियों को मारने वाला होता है.. हम लोग शोर मचा कर उसे भगा देते हैं और उन घोड़ियों को महफूज वापस ले जाते हैं।"

सिंदबाद की आंखें हैरत से फैल गई। सिंदबाद ने हैरत से पूछा, "ऐसा भी होता है..!!" अब उन सभी साइसों को सिंदबाद की मासूमियत और बेवकूफी का अंदाजा हो गया था। उनमें से एक ने कहा, "हाथ कंगन को आरसी क्या.. और पढ़े लिखे को फारसी क्या..!! तुम्हें इस बात पर यकीन नहीं.. तो देख लेना। तब तो तुम्हें यकीन हो जाएगा।" ऐसा कहकर सिंदबाद के कंधे पर हाथ रखकर उसे कहा, "तब तक तुम थोड़ा आराम कर लो। जैसे ही दरियाई घोड़ा यहां आएगा.. हम तुम्हें जगा देंगे और फिर तुम खुद अपनी आंखों से पूरा हाल देख लेना।" सिंदबाद ने हां में सर हिलाया और एक जगह आराम करने लगा।

कुछ वक्त आराम करने के बाद सिंदबाद जब उठा तो सभी लोग आपस में घर जाने के बारे में बातें कर रहे थे। सिंदबाद ने उनके पास जाकर उनसे पूछा, "आप लोग कहीं जा रहे हैं?" तब उन साईंसों ने सिंदबाद से अपने पास बैठने की जगह देते हुए कहा, "हां भाई..! कल हम लोग वापस अपने घर जाएंगे। कल का दिन इस टापू पर हमारा.. इस साल का आखिरी दिन है।" यह सुनकर सिंदबाद थोड़ा सा परेशान हो गया। सिंदबाद ने उन लोगों से इल्तजा करते हुए कहा, "आप लोगों को तकलीफ ना हो तो क्या आप लोग मुझे अपने साथ अपने शहर ले चलेंगे?? क्योंकि इस वीरान टापू से तो मुझे वापस अपने घर जाने के लिए कोई भी जहाज नहीं मिलेगा। अगर आप मुझे अपने शहर ले चलते हैं तो हो सकता है.. के मुझे अपने घर जाने की कोई राह मिल जाए।" उन सब लोगों ने भी सिंदबाद की बात मान ली और उसे अपने साथ ले जाने का दिलासा दिया। वह सब लोग जब बात कर ही रहे थे.. तभी उन्हें बाहर से कुछ आवाजें सुनाई दी।

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5 Comments

Babita patel

04-Sep-2023 08:25 AM

Awesome

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KALPANA SINHA

03-Sep-2023 09:38 AM

Nice

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madhura

03-Sep-2023 09:13 AM

Nice

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